लखनऊ में एक झूठे फोन कॉल ने पुलिस महकमे को परेशान कर दिया। डायल- 112 पर एक कॉल आया। दूसरी तरफ से कहा गया कि हेलो, लखनऊ जंक्शन पर तीन महिला आतंकी बैग में बम लेकर बैठी हैं। बम की सूचना मिलते ही पुलिस- प्रशासन में हड़कंप मच गया। आनन- फानन में जंक्शन को पूरी तरह से घेर लिया गया। जांच की गई। इसमें सूचना गलत पाई गई।
लखनऊ: ‘हेलो, पुलिस कंट्रोल रूम! लखनऊ जंक्शन पर तीन महिला आतंकी हैं। इनके बैग में बम है और प्लैटफॉर्म के पास बैठी हैं।’ डायल-112 पर दो दिन पहले आई इस अनजान कॉल से हड़कंप मच गया। पुलिस ने तत्काल जीआरपी को सूचना दी। कुछ देर में लखनऊ जंक्शन छावनी में तब्दील हो गया। इस बीच जीआरपी ने सूचना देने वाले शख्स का नंबर दोबारा डायल किया तो पता चला कि वह 12 साल से लापता था। उसकी खबर मिलने पर पत्नी और दोनों भाभियां उसे ले जा रही थीं, लेकिन वह घर नहीं जाना चाहता था। इससे बचने के लिए ही उसने झूठी सूचना दे दी।
जानकारी के मुताबिक, चारबाग स्टेशन पर दो जनवरी को जीआरपी को सूचना मिली कि देवरिया में सलेमपुर स्थित काजी बरूवा निवासी हाजी इलियास कुरैशी (48) परिवार के साथ जा रहे थे, लेकिन कहीं गुम हो गए। जीआरपी और आरपीएफ ने कुछ ही देर में उन्हें तलाशकर उनकी पत्नी परवीना, दो भाभियों सायदा व नरगिस और बेटे फरमान को सौंप दिया। इसके करीब आधे घंटे बाद जीआरपी को पुलिस मुख्यालय ने लखनऊ जंक्शन पर तीन महिला आतंकी होने की सूचना दी।
प्रभारी निरीक्षक संजय खरवार और एसआई भोला शंकर ने इस सूचना पर तत्काल एनईआर के आरपीएफ को बताया। कुछ देर में लखनऊ जंक्शन छावनी में तब्दील हो गया। छानबीन के बीच पुलिस मुख्यालय ने जीआरपी को वह नंबर दिया, जिससे कॉल आई थी। जीआरपी ने कॉल किया तो यह नंबर इलियास के बेटे फरमान का निकला। पूछताछ में पता चला कि इलियास घर नहीं जाना चाहता था। इसी कारण बेटे से मोबाइल मांगकर डायल-112 पर झूठी सूचना दी थी।
12 साल पहले हुआ था लापता
परिवारीजनों के मुताबिक, अपने बेटे फरमान के जन्म के कुछ महीने बाद ही इलियास लापता हो गया था। वह आगरा में होटल में काम कर रहा था। कुछ दिन पहले उन्नाव के बशीरतगंज में फैक्ट्री में काम करने पहुंचा। वहां गांव के कुछ लोग पहले से थे। उनकी सूचना पर घरवाले इलियास को लेकर लकनऊ पहुंचे और यहां से घर जाने के लिए 15008 कृषक एक्सप्रेस का इंतजार कर रहे थे।
ग्राम प्रधान और साले से कराई बात
जीआरपी कर्मियों ने एहतियातन ‘सी प्लान ऐप’ की मदद से इलियास के गांव के प्रधान असलम खान से संपर्क किया। उन्होंने इलियास के लापता होने की बात स्वीकारी। जीआरपी ने असलम और उसके साले से भी इलियास की बात करवाई, तब वह घर जाने को तैयार हुआ। इस पर परिवारीजनों ने रेलवे पुलिस उपाधीक्षक विकास पांडेय, संजय खरवार और भोला शंकर के साथ जीआरपी-आरपीएफ की पूरी टीम का आभार जताया।